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"बातें करें-२ / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर

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कुछ आस की बातें करें|
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आ इस समंदर से मिलें,
 
आ इस समंदर से मिलें,
फिर प्यास की बातें करें|
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फिर प्यास की बातें करें
  
सिलसिले गुम हो गये,
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सिलसिले गुम हो गए,
इतिहास की बातें करें |
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इतिहास की बातें करें
  
 
लफ्ज़ मानो खो चुके,
 
लफ्ज़ मानो खो चुके,
एहसास की बातें करें |</poem>
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एहसास की बातें करें
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12:15, 11 जून 2010 के समय का अवतरण

कुछ आस की बातें करें ।
विश्वास की बातें करें ।

आ इस समंदर से मिलें,
फिर प्यास की बातें करें ।

सिलसिले गुम हो गए,
इतिहास की बातें करें ।

लफ्ज़ मानो खो चुके,
एहसास की बातें करें ।