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पपीहा और चील-कौए / हरिवंशराय बच्चन
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17:08, 18 जून 2010
तुम्हें रोमांच होता,
तुम्हें लगता कि
कोईखोलकर
कोई
खोलकर
पन्ने तुम्हारी डायरी के
पढ़ रहा है?
Tusharmj
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