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+ | * [[आधुनिक जगत की स्पर्धपूर्ण नुमाइश में / हरिवंशराय बच्चन]] | ||
+ | * [[हम गाँधी की प्रतिभा के इतने पास खड़े / हरिवंशराय बच्चन]] |
22:10, 23 जून 2010 के समय का अवतरण
खादी के फूल
रचनाकार | हरिवंशराय बच्चन |
---|---|
प्रकाशक | भारती भंडार, लीडर प्रेस, प्रयाग |
वर्ष | १९४८ |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | गीत |
पृष्ठ | १६९ |
ISBN | |
विविध | यह सुमित्रानंदन पंत और हरिवंशराय बच्चन जी का संयुक्त कविता संग्रह है। |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- हो गया क्या देश के सबसे सुनहले दीप का निर्वाण / हरिवंशराय बच्चन
- वे आत्माजीवी थे काया से कहीं परे / हरिवंशराय बच्चन
- उसके अपना सिद्धान्त न बदला मात्र लेश / हरिवंशराय बच्चन
- था उचित कि गाँधी जी की निर्मम हत्या पर / हरिवंशराय बच्चन
- ऐसा भी कोई जीवन का मैदान कहीं / हरिवंशराय बच्चन
- तुम उठा लुकाठी खड़े हुए चौराहे पर / हरिवंशराय बच्चन
- गुण तो नि:संशय देश तुम्हारे गाएगा / हरिवंशराय बच्चन
- ओ देशवासियों, बैठ न जाओ पत्थर से / हरिवंशराय बच्चन
- आधुनिक जगत की स्पर्धपूर्ण नुमाइश में / हरिवंशराय बच्चन
- हम गाँधी की प्रतिभा के इतने पास खड़े / हरिवंशराय बच्चन