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उम्मीद / रेणु हुसैन
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09:33, 29 जून 2010
ये पतझर ढल जायेगा
फूलों पे आयेगी बहार
ये नफरत मिट जायेगी
महकेगा प्यार ही प्यार
उम्मीद रखो, उम्मीद रखो
उम्मीद पे दुनिया कायम है
<poem>
Mukeshmanas
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