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उम्मीद / रेणु हुसैन

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ये पतझर ढल जायेगा
फूलों पे आयेगी बहार
ये नफरत मिट जायेगी
महकेगा प्यार ही प्यार
उम्मीद रखो, उम्मीद रखो
उम्मीद पे दुनिया कायम है
 
<poem>
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