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"तुम्हारी गोद में / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem>घुंडियों के मुंह लगाते ही लगा मुझे सारा सुख यहीं है उमस आंधी और …)
 
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तुम्हारी छातियों में
 
तुम्हारी छातियों में
 
क्षीर सागर है मां !
 
क्षीर सागर है मां !
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'''अनुवाद : नीरज दइया'''
 
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14:31, 30 जून 2010 का अवतरण

घुंडियों के मुंह लगाते ही
लगा मुझे
सारा सुख यहीं है
उमस
आंधी
और लू के थपेड़े
या ओलावृष्टि की मार
कुछ नहीं कर सकती मेरा
तुम्हारी गोद मे‍ मुझे डर कैसा
मैं चूंध तृप्त होता हूं
चूंध तृप्त होता है जगत
तुम्हारी छातियों में
क्षीर सागर है मां !

अनुवाद : नीरज दइया