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"नींव तक / तारादत्त निर्विरोध" के अवतरणों में अंतर

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फूल यादों का फिर खिला होगा । <br><br>
 
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09:36, 3 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

जब मेरा खत उसे मिला होगा,
फूल यादों का फिर खिला होगा ।

बेखुदी में भी जो नहीं बोला,
दर्द से उसको क्या गिला होगा ।

बाद मुद्दत के रूप बनते हैं,
टूट जाना तो सिलसिला होगा ।

याद करता उसे जमाना भी,
लौटकर जो नहीं मिला होगा ।

एक लम्हा भी जी नहीं सकता,
वो पहाडों का इक किला होगा ।

जो गया तोड कर सभी रिश्ते,
लोग कहते हैं बेवफा होगा ।

जिसने खुद को दफन किया खुद में,
वो किसी नींव तक हिला होगा ।