भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"विदा बेला / गोबिन्द प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय }} {{K…)
 
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
 
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय
+
|संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / गोबिन्द प्रसाद
 
}}  
 
}}  
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}

19:46, 4 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


विदा बेला:
लय में जैसे कोई ठहरा
पत्तियों की नोंक पर
रह गया बस,जहाँ-तहाँ
ढलता हुआ
बिम्ब
दिनकर का सुनहरा

विवर्ण नभ
तिर रहा
मौन में मुखर
सागर के स्वर में
मन्द्र
कर रहे तारक-दल
आलाप,तिमिर छा रहा
साँझ का गहरा