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"ज्योति-द्वार / गोबिन्द प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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पत्ते के झरने से भी
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शाम में ढल जाती है सुबह
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कभी-कभी खुलते हैं
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ज्योति के द्वार
 
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14:38, 5 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


पत्ते के झरने से भी
कभी-कभी
शाम में ढल जाती है सुबह
श्ब्दों से भी
कभी-कभी खुलते हैं
ज्योति के द्वार