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"नैन भरि देखि लेहु यह जोरी / भारतेंदु हरिश्चंद्र" के अवतरणों में अंतर
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नैन भरि देखि लेहु यह जोरी। | नैन भरि देखि लेहु यह जोरी। |
20:30, 10 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
नैन भरि देखि लेहु यह जोरी।
मनमोहन सुंदर नटनागर, श्री वृषभानु-किसोरी॥
कहा कहौं छबि कहि नहिं आवै, वे साँवर यह गोरी।
ये नीलाम्बर सारी पहिनें, उनको पीत पिछौरी॥
एक रूप एक भेस एक बय, बरनि सकै कवि को री।
’हरीचंद’ दोऊ कुंजन ठाढ़े, हँसत करत चित-चोरी॥