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यदि मैं चाहती / चंद्र रेखा ढडवाल
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01:57, 17 जुलाई 2010
. . . .
यदि मैं बटोरती
तो एक-एक क्षण मणि
हो
होकर
सज जाता हृदय पटल पर
जिसके उजास में
ख़ुश्बुओं के हमाम में नहाती
तितलियों के पर पहनती
शतदल
कमलनालों
कमल बालों
में सजाती
हवा के घोड़े पर सवार
एक राजकुमार आता
द्विजेन्द्र द्विज
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