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और काँटों को लहू किसने पिलाया होगा / फ़रहत शहज़ाद
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03:03, 17 जुलाई 2010
तुमने गुज़रा हुआ कल याद दिलाया होगा
जुज़
<ref>सिवा, अतिरिक्त
</ref>
हमारे ऐ सुलगती हुई तन्हाई तुझे
ऐसे सीने से भला किसने लगाया होगा
</poem>
{{KKMeaning}}
द्विजेन्द्र द्विज
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