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"देवानन्द से प्रेमनाथ / शैल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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एक बार सिनेमा हॉल में
 
एक बार सिनेमा हॉल में
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एक महिला का पैर
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हमारे पैर के नीचे आ गया
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तो वो बोली -"अरे शेट्टी जी
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थोड़ी देर पहले आप पर्दे पर थे
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यहाँ कैसे"
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उसके बाजू में बैठे अमिताभ बच्चन ने
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हमारे मुँह पर
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घूसा जड़ाते हुए कहा-"ऐसे
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तबियत  ना भरी  हो तो
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और लगाऊँ
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भर गई हो तो एम्बुलेंस मंगवाऊ"
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कवि -सम्मेलन समाप्त होने के बाद
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एक महिला हमारे पास आई
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हाथ जोड़कर मुस्कराई
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फिर बोली-"अपना फ़ोटो दीजिए न
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घर ले जाऊँगी"
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हमने पूछा-"फ़ोटो का क्या  करोगी"
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बोली-"बच्चो को डराऊँगी"
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दर्ज़ी से कहा-"कमीज़ की बटन नहीं लगती"
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वो बोला-"हमारी क्या ग़लती
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दो मीटर में जैसी बनी
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बना दी
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कोई और टेलर होता
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तो पाँच मीटर कपड़ा लेता
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माफ़ करना जनाब
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पेट का बढ़ना मर्दो को शोभा नहीं देता"
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बस कंडक्टर
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हमारे हाथ में टिकर थमाते हुए बोला-
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"भगवान जाने क्या खाते हो
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अकेले ही
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दो की सीट घेर कर बैठ जाते हो
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सिंगल टिकट में सफ़र करना है तो
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काया को भी सिंगल करो
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वर्ना दो सीट का किराया भरो"
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लोगों की शादी
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धूम-धड़ाके से होती है
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मगर हमारी शादी में काहे की धूम
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और काहे का धड़ाका
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हमें देखते ही
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चेहरा उतर गया दुल्हन की माँ का
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दुल्हन ने जब घुंघट से झाँका
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तो बेचारी की साँस उपर चढ़ गई
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और सहेलियों के संभालते-संभालते
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लम्बी पड़ गई
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किसी ने कहा-"भगवान बेटी की रक्षा करे"
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कोई बोला-"सब ईश्वर की मरज़ी है
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कोई क्या करे"
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एक बार हमने
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जैसे ही लिफ़्ट में पैर घुसाया
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तो लिफ़्ट मेन चिल्लाया-
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"आगे मत बढ़िए
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ऊपर जाना है तो
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सीढ़ेयों से चढ़िए
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आपका वज़न ज्यादा है
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क्या लिफ़्ट तोड़ने का इरादा है"
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हमने कहा-"यार
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सातवें फ्लोर पर जाना है
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कैसे चढ़ पाएँगे"
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वो बोला-"दो-चार बार चढ़ेंगे-उतरेंगे
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तो लिफ़्ट के लायक हो जाएंगे"
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यहाँ तक तो ख़ैर है
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कि लोगों को
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हमारी काया से बैर है
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लेकिन कुछ ऐसे भी हैं
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जिन्हें हमारे गंजेपन से शिकायत है
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भला वे ही क्या तीर मार रहे हैं
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जिनके सर पर
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बालो की बहुतायत है
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पकड़ में आ जाएं तो
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छुड़ाए नहीं छूटेंगे
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ज़बरदस्ती छूड़ाओगे तो टूटेंगे
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फिर तो  हार मानोगे
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या पड़ोसी से उधार मांगोगे?
 +
क्या आप नहीं जानते
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कि सत है सरस्वती का भंडार
 +
ऐर कपाल प्रवेश-द्वार
 +
चांद खुली ना हो
 +
भरे रहें केश
 +
तो सरस्वती कैसे करेगी प्रवेश?
 +
 +
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस
 +
लौह पुरूष वल्लभ भाई पटेल
 +
राष्ट्र पिता महात्मा गांधी
 +
और युग पुरुष  जवाहरलाल
 +
इनके सर पर कहाँ थे बाल
 +
गंजे थे
 +
लेकिन भारत माता के बेटे थे
 +
ऐसे-ऐसे काम कर गए
 +
कि इतिहास में अपना नाम कर गए
 +
इसीलिए
 +
बाल वालों से मेरा कहना है
 +
कि अगर उन्हे कुछ बनना है
 +
तो सर का बोझ हटवा दें
 +
अपनी चांद घुटवा दें।

14:14, 17 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

हमारे शारीरिक विकास
और गंजेपन को देखकर
लोग हमारा मज़ाक उड़ाते हैं
मगर ये भूल जाते हैं
कि जवानी में हम भी
ख़ूबसूरती में कमाल थे
हमारे सर पर भी
लहराते हुए चमकीले बाल थे
कॉलेज की लड़कीयाँ कॉपी पर
हमारा चित्र बनाती थीं
और दो-चार तो ऐसी थीं
जो हमें देवानन्द कहकर बुलाती थीं
मगर भला हो इस गृहस्थी के चक्कर का
जिसने हमें बर्बाद कर दिया
देवानन्द से प्रेमनाथ कर दिया

एक बार हम रिक्शे में बैठ गए
ठिकाने पर पहुंच कए
पचास पैसे थमाए
तो रिक्शा चालक जी ऐंठ गए
"पचास पैसे थमाते शर्म नहीं आई
लीजिए आप ही सम्भालिए
और जल्दी से रुपया निकालिए
वो तो मैंने
अन्धेरे में हाँ कर दी थी
उजाले में होता
तो ठेले की सवारी
रिक्शे में नहीं ढोता।"

ट्रेन के सफर में
थ्री टायर में
एक महिला धड़धाड़ाती हुई आई
और हमें देख कर चिल्लाई-
"ये आदमियों का डिब्बा है
अगले स्टेशन पर ब्रेक में जाओ
अजी कंडक्टर साहब
इस सामान को यहाँ से हटाओ।"

राशन की लाईन में
आगे से धक्का आया
तो हमारे पीछे से आवाज़ आई-
"आदमियों की लाईन में
हाथी किसने खड़ा कर दिया भाई"
हमने लम्बी सांस ली
तो सामने वाली चिल्लाई-
"महिलाओं को धक्का मारते
शर्म नहीं आई"
हमको कहना पड़ा-
"क्या सांस भी नहीं ले माई"

एक बार सिनेमा हॉल में
एक महिला का पैर
हमारे पैर के नीचे आ गया
तो वो बोली -"अरे शेट्टी जी
थोड़ी देर पहले आप पर्दे पर थे
यहाँ कैसे"
उसके बाजू में बैठे अमिताभ बच्चन ने
हमारे मुँह पर
घूसा जड़ाते हुए कहा-"ऐसे
तबियत ना भरी हो तो
और लगाऊँ
भर गई हो तो एम्बुलेंस मंगवाऊ"

एक बार
कवि -सम्मेलन समाप्त होने के बाद
एक महिला हमारे पास आई
हाथ जोड़कर मुस्कराई
फिर बोली-"अपना फ़ोटो दीजिए न
घर ले जाऊँगी"
हमने पूछा-"फ़ोटो का क्या करोगी"
बोली-"बच्चो को डराऊँगी"

दर्ज़ी से कहा-"कमीज़ की बटन नहीं लगती"
वो बोला-"हमारी क्या ग़लती
दो मीटर में जैसी बनी
बना दी
कोई और टेलर होता
तो पाँच मीटर कपड़ा लेता
माफ़ करना जनाब
पेट का बढ़ना मर्दो को शोभा नहीं देता"
बस कंडक्टर
हमारे हाथ में टिकर थमाते हुए बोला-
"भगवान जाने क्या खाते हो
अकेले ही
दो की सीट घेर कर बैठ जाते हो
सिंगल टिकट में सफ़र करना है तो
काया को भी सिंगल करो
वर्ना दो सीट का किराया भरो"
लोगों की शादी
धूम-धड़ाके से होती है
मगर हमारी शादी में काहे की धूम
और काहे का धड़ाका
हमें देखते ही
चेहरा उतर गया दुल्हन की माँ का
दुल्हन ने जब घुंघट से झाँका
तो बेचारी की साँस उपर चढ़ गई
और सहेलियों के संभालते-संभालते
लम्बी पड़ गई
किसी ने कहा-"भगवान बेटी की रक्षा करे"
कोई बोला-"सब ईश्वर की मरज़ी है
कोई क्या करे"
एक बार हमने
जैसे ही लिफ़्ट में पैर घुसाया
तो लिफ़्ट मेन चिल्लाया-
"आगे मत बढ़िए
ऊपर जाना है तो
सीढ़ेयों से चढ़िए
आपका वज़न ज्यादा है
क्या लिफ़्ट तोड़ने का इरादा है"
हमने कहा-"यार
सातवें फ्लोर पर जाना है
कैसे चढ़ पाएँगे"
वो बोला-"दो-चार बार चढ़ेंगे-उतरेंगे
तो लिफ़्ट के लायक हो जाएंगे"

यहाँ तक तो ख़ैर है
कि लोगों को
हमारी काया से बैर है
लेकिन कुछ ऐसे भी हैं
जिन्हें हमारे गंजेपन से शिकायत है
भला वे ही क्या तीर मार रहे हैं
जिनके सर पर
बालो की बहुतायत है
पकड़ में आ जाएं तो
छुड़ाए नहीं छूटेंगे
ज़बरदस्ती छूड़ाओगे तो टूटेंगे
फिर तो हार मानोगे
या पड़ोसी से उधार मांगोगे?
क्या आप नहीं जानते
कि सत है सरस्वती का भंडार
ऐर कपाल प्रवेश-द्वार
चांद खुली ना हो
भरे रहें केश
तो सरस्वती कैसे करेगी प्रवेश?

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस
लौह पुरूष वल्लभ भाई पटेल
राष्ट्र पिता महात्मा गांधी
और युग पुरुष जवाहरलाल
इनके सर पर कहाँ थे बाल
गंजे थे
लेकिन भारत माता के बेटे थे
ऐसे-ऐसे काम कर गए
कि इतिहास में अपना नाम कर गए
इसीलिए
बाल वालों से मेरा कहना है
कि अगर उन्हे कुछ बनना है
तो सर का बोझ हटवा दें
अपनी चांद घुटवा दें।