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"पतझड़ / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

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04:31, 18 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

आज नहीं तो कल
आएगा तो सही
पतझड़
जानता है पेड़
कांपता है तन
कहां है आंख
बहाए आंसू
थक कर सूजे ।

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"