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"फूल / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर
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वह था एक बीज की तरह | वह था एक बीज की तरह |
10:25, 18 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
वह था एक बीज की तरह
मेरे भीतर जाने कब से
अब फूल बनकर महक उठा है
मेरे हृदय की डाल पर
बरसों बाद
मुझे पता चला
कि वो फूल तुम ही तो हो
तुम्हारा ही रंग है उसमें
तुम्हारी ही गंध, तुम्हारा ही रूप
मेरे रोम-रोम में,
तुम ही तो खिली हो
लो प्रिये
ये मेरा प्यार लो
जो मुझे मिला था
एक बीज की तरह
मैं उसे फूल की तरह समर्पित करता हूँ
लो प्रिये
ये मेरा प्यार लो।
1994