{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=शास्त्री नित्यगोपाल कटारे}}{{KKCatKavita}}<poem>परम पुनीत पुण्यभूमि भारती उठो युवाओं युवाओ! माँ तुम्हें पुकारती।
सत्य दान शीलता की मूर्ति, अभीष्ट सब पदार्थों की पूर्ति। चंद्रमा-सी जिसकी धवल कीर्ति बनी विपन्नता की प्रतिमूर्ति वो आस भरी दृष्टि से निहारती उठो युवाओं युवाओ! माँ तुम्हें पुकारती।
राम-कृष्ण की ये पावन धृति श्लांघनीय संस्कृत सुसंस्कृति रत्नपूर्ण इस धरा की संतति क्यों है अशक्त काँच के प्रति मातृभक्ति पर कभी न हारती उठो युवाओं युवाओ! माँ तुम्हें पुकारती
झाँक लो ज़रा सुखद अतीत को शौर्य वीर्य धैर्य के प्रतीक को छोड़ भेदभाव की अनीति को जगाओ स्वाभिमान की प्रतीति को जलाओ दिव्य चेतना की आरती उठो युवाओं युवाओ! माँ तुम्हें पुकारती</poem>