Changes

सभ्यता / संतोष मायामोहन

133 bytes added, 20:19, 19 जुलाई 2010
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=संतोष मायामोहन |संग्रह=}}{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>सड़क के दोनों किनारों
खड़े हैं
दसियों, बीसियों, तीसियों मंजिले मकान
मैं देखती हूं इन्हें
और मापने लगती हूंहूँ
किसी भविष्य के "थेह"
की ऊंचाई ऊँचाई ।खोदती हूं हूँ उन्हेंऔर ढूंढ़ने ढूँढ़ने लगती हूं किसी सभ्यता
के निशान
वह मिलती है मुझे
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,276
edits