{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर |संग्रह=}}[[Category:अंग्रेज़ी भाषा]]{{KKCatKavita}}<Poem>रास्ते में जब हमारी आंखें आँखें मिलती हैंमैं सोचता हूं हूँ मुझे उसे कुछ कहना थापर वह गुजर गुज़र जाती है
और हर लहर पर बारंबार टकराती
एक नौका की तरह
मुझे उससे कहनी थी
यह पतझड़ में बादलों की अंतहीन तलाश
की तरह है या संध्या में खिले फूलों सा-से
सूर्यास्त में अपनी खुशबू खोना है
वह बात जो मुझे उसे बतानी थी ।
अंग्रेजी '''अंग्रेज़ी से अनुवाद - कुमार मुकुल'''</poem>