यहाँ मैं एक सूची दे रहा हूँ जिसमें कुछ ऐसे व्यक्तियों के नाम और योगदान हैं जिन्होनें हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निबाही हैं। कृपया ध्यान दें कि यह सूची पूरी नहीं है। मुझे विश्वास है कि मैं बहुत से महत्वपूर्ण नाम इस सूची में नहीं दे पा रहा हूँ -ऐसा केवल इस बारे में मेरी अज्ञानता के कारण है। मैं उन सभी व्यक्तियों को नमन करता हूँ जिन्होनें हिन्दी भाषा के विकास में कोई भी सकारात्मक भूमिका अदा की है।
* श्री {{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Vinay chhajlani.jpg;विनय छजलानी|creation=सुवि इंफ़ोर्मेशन सिस्टम (वेबदुनिया)|date=|year=1993|details='''विनय छजलानी''' ने 1993 में सुवि इंफ़ोर्मेशन सिस्टम नामक कम्पनी की स्थापना की जो की बाद में '''वेबदुनिया''' नाम से प्रसिद्ध हुई। इस कम्पनी के काम की प्रशंसा माइक्रोसॉफ़्ट ने भी की और इनके साथ सहयोग करने की पेशकश की* श्री |links=www.webdunia.com}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;वासु श्रीनिवास|creation=बरह|date=जनवरी 1998|year=1998|details='''वासु श्रीनिवास''' ने जनवरी 1998 में '''बरह''' नामक सॉफ़्टवेयर बनाया जिसकी मदद से हिन्दी सहित कई भारतीय भाषाओं मे लिखा जा सकता था* श्री |links=www.baraha.com}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;अभिषेक चौधरी;Nopic.png;श्वेता चौधरी|creation=हिन्दवी|date=|year=|details='''अभिषेक चौधरी''' और डा. '''श्वेता चौधरी''' ने '''हिन्दवी''' नामक सिस्टम बनाया जिससे जिससे कि हिन्दी भाषा में बेसिक जैसा, सी भाषा जैसा डॉस स्तर पर प्रोग्रामिंग करना संभव है* श्री |links=www.hindawi.in}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;हरिराम|creation=हिन्दी कोर कम्प्यूटिंग|date=|year=|details='''हरिराम''' ने हिन्दी कोर कम्प्यूटिंग को आसान बनाने के लिये महत्वपूर्ण योगदान किया। वे सीडैक से भी संबंधित रहे हैं* श्री |links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;हेमंत कुमार|creation=तख्ती|date=|year=|details='''हेमंत कुमार''' ने '''तख्ती''' नामक बेहद लोकप्रिय और बेहद आसान फ़ोनेटिक यूनिकोड देवनागरी लेखन औजार बनाया जिसे विंडोज 98 के जमाने से अब तक प्रयोग में लिया जा रहा है* श्री |links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;आलोक कुमार|creation=देवनागरी.नेट, गिरगिट का बेहतर इंटरफ़ेस, हिन्दी का पहला ब्लॉग|date=|year=|details='''आलोक कुमार''' ने '''देवनागरी.नेट''' का निर्माण किया। आपने लिप्यांतरण औजार '''गिरगिट''' का बेहतर इंटरफ़ेस प्रस्तुत किया और लिनक्स गाइड के हिंदी अनुवादों को भी आरम्भ कियाकिया। आपने 9-2-11 नाम से '''पहला हिंदी ब्लॉग''' भी बनाया।* श्री |links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;कुलप्रीत सिंह|creation=शून्य.इन|date=|year=|details='''कुलप्रीत सिंह''' ने '''शून्य.इन''' नामक हिंदी की तकनीकी समाचार साइट का निर्माण किया* श्री '''|links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;विनय जैन''' ने |creation=यूनिकोड हिंदी में '''पहला ब्लॉग पोस्ट|date=|year=|details=''' लिखा। श्री '''आलोक कुमारविनय जैन''' ने 9-2-11 नाम का यूनिकोड हिंदी में '''पहला हिंदी ब्लॉगपोस्ट''' बनायालिखा।|links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;देबाशीष* श्री |creation=चिट्ठाविश्व|date=|year=|details='''देबाशीष''' ने पहला लोकप्रिय ब्लॉग एग्रीगेटर '''चिट्ठाविश्व''' का निर्माण किया* श्री |links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;राघवन;Nopic.png;सुरेखा|creation=आई.एम.ई.|date=|year=|details='''राघवन''' एवं '''सुरेखा''' जी ने एक '''आई.एम.ई''' बनाया। यह जावास्क्रिप्ट पर आधारित था और इसकी मदद से और भी कई औज़ार बने।* श्री |links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;रमण कौल|creation=हिन्दी के इनस्क्रिप्ट तथा रेमिंगटन ऑनलाइन कीबोर्ड|date=|year=|details='''रमण कौल''' ने हिन्दी के इनस्क्रिप्ट तथा रेमिंगटन ऑनलाइन कीबोर्ड उपलब्ध कराए* श्री |links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Raviratlami.jpg;रवि रतलामी|creation=लिनिक्स का हिन्दी इंटरफ़ेस|date=|year=|details='''रवि रतलामी''' ने लिनिक्स का हिन्दी इंटरफ़ेस बनाया* श्री |links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;पंकज नरूला|creation=नारद|date=|year=|details=नारद नामक ब्लॉग एग्रीगेटर सबसे पहले पंकज नरूला ने बनाया था, उसके संवर्धन का काम '''जीतेन्द्र चौधरी''' ने , फ़्रंट एण्ड इम्प्रूवमेंट '''नारदसंजय और पंकज बैंगाणी''' नामक ब्लॉग एग्रीगेटर बनायाने किया|links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Purnimavarman1.jpg;पूर्णिमा वर्मन|creation=अभिव्यक्ति, अनुभूति|date=|year=* श्रीमति |details='''पूर्णिमा वर्मन''' जी ने बहुत लोकप्रिय '''अनुभूति''' और '''अभिव्यक्ति''' नामक हिन्दी साहित्यिक वेब-पत्रिकाओं का निर्माण और संचालन किया* श्री |links=www.abhivyakti-hindi.org;www.anubhuti-hindi.org}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Mitul.jpg;मितुल पटेल|creation=हिन्दी विकिपीडिया|date=|year=|details='''मितुल पटेल''' ने '''हिन्दी विकिपीडिया''' को आगे बढ़ाने में महव्तपूर्ण महत्वपूर्ण भूमिका अदा कीजिसमें '''पूर्णिमा वर्मन''' तथा '''अनुनाद सिंह''' की सक्रिय साझेदारी रही* श्री |links=http://hi.wikipedia.com}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;शैलेष भारतवासी|creation=हिन्द युग्म|date=|year=|details='''शैलेष भारतवासी''' ने '''हिन्द युग्म''' प्रारम्भ किया और इंटरनेट पर हिन्दी लिखने के बारे में साक्षरता को बढ़ावा दिया* श्री |links=www.hindyugm.com}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;ईस्वामी|creation=हग|date=|year=|details='''ईस्वामीहग''' ने एक हिन्दी युनिकोड जनरेटर|links=}}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;ईस्वामी|creation=हग|date=|year=|details='''हग''' नामक औजार बनाया* एक हिन्दी यूनिकोड जनरेटर है। हग की मदद से श्री '''हिमांशु सिंह''' ने '''हिन्दी-तूलिका''' औजार बनाया* श्री '''रजनीश मंगला''' ने हिन्दी फ़ॉन्ट्स परिवर्तन करने के लिये औजार बनाए|links=* श्री }}{{KavitaKosh_HindiOnNet|photos=Nopic.png;मैथिली गुप्त|creation=कृतिदेव|date=|year=|details='''मैथिली गुप्त''' ने कम्प्यूटर और इंटरनेट पर हिन्दी के विकास के लिये कई महत्वपूर्ण काम किए:
** आपने '''कृतिदेव''' नामक लोकप्रिय फ़ॉन्ट बनाया, जिसे अब माइक्रोसॉफ़्ट ने अपने तमाम विन्डोज़ सिस्टम्स में इंस्टाल किया हुआ है।
** १९९८ में आपने '''हिन्दी पैड''' बनाया जो रोमनाइज़्ड तरीके से हिन्दी टाइप करने के लिये पहला औज़ार था
** आपने '''इंडिनेटर''' नामक फ़ॉन्ट परिवर्तक का निर्माण किया
** इसके बाद आपने '''इंडिनेटर स्क्रिप्ट कन्वर्टर''' नामक औज़ार बनाया जो हिन्दी लिपि को अन्य भारतीय भाषाओं की लिपियों में बदल सकता है
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}}
{{KavitaKosh_HindiOnNet
|photos=Nopic.png;रजनीश मंगला
|creation=हिन्दी फ़ॉन्ट्स परिवर्तक
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|details='''रजनीश मंगला''' ने हिन्दी फ़ॉन्ट्स परिवर्तन करने के लिये औजार बनाए
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ऊपर दिये गये लगभग सभी उदाहरणों की ख़ास बात यह है कि इनके सुविधाओं के रचयिताओं ने इन्हें प्रयोक्ताओं को मुफ़्त उपलब्ध कराया। यह एक प्रमुख कारण था कि इंटरनेट पर हिन्दी तेज़ी से आगे बढ़ सकी। इन लोगो को इंटरनेट पर हिन्दी के प्रणेता कहा जा सकता है।