''' महानगर में सवेरा '''
अभी निशा-भ्रमित धुओं पर
दागे जा रहे होते हैं
कि चिमनियों-कार्ब्यूरेटरों से
कूच कर चली
धुओं की सशस्त्र सेनाएं ,
गोरिल्ला रणनीति से
शामिल हो जाती हैं --
सृष्टि के विरुद्ध
एक परिणामी युद्ध में
तभी, आहत आसमान की
बांहों में सिसकते
ज्वारातंकित पूर्वी क्षितिज से
उग आता है -- टींसते फोड़े जैसा सूरज ,
जिसकी किरणें
गाढ़े मवाद की तरह
और बहने लगती हैं
रोगाणुओं-कीटाणुओं से दबी
और मृत्यु-भय से हदसीजमुना की रुग्ण शिराओं में और ज़हरीले मवाद से मरणासन्न कर देती हैं एक समूचा पुराण, जो आज भी लिपटा हुआ हैचिथड़ी धोती की तरह, तथाकथित श्यामवसना सरिता से जो किसी बाल कन्हैया कीचपल क्रीड़ाओं में बहा करती थी कभी--छल-छल, कल-कल ऐसा होता हैसवेरा यहांजो सरपट दौड़ता जाता हैहिंसक सड़कों पर,हिनहिनाकरटपटपाकर--अपनी दुम में बांधे घिसटती-लिसढ़ती पागल भीड़और मोटरगाड़ियों का अटूट रेलाऔर जा-छिपता है दुर्घटनाओं के अस्तबल में, ताकि वह ग्रास न बन जाए किरणों में छिपे घातक इरादे काजो रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित हैसूर्य के हाथोंजिसे आतंकवादी बनाया है--निरीह बस्तियों को खुराक बनाने वालीआदमखोर महानगर की साजिशों ने,तदनंतर-- उस आदमखोर कोदबोचने झपट पड़ते हैंव्याघ्र किरणों के पंजे,जबकि हर महानागरिक धमाकों की उम्मीद लिए रेलवे प्लेटफार्मों परबाज़ारों, चौराहों, पार्कों में सपनों की कच्ची फसल कोजागती आँखों से चरता है,नंगी होने से उल्लासित अंगीठीनुमा औरतों से अपनी कठुआई यौन कुंठाएं सेंकता है--अपनी सेकेंडहैंड पैंट की फटी जेबों में रोटी, कपड़ा, मकान टटोलते हुए उस कुंठाजीवी के लिए सवेरा क्या है?बस, एक जोरदार सूखी छींक है, जो उसकी नासिका की ट्रैफिक खोलताजे निकोटीनी धुओं की आवाजाही निष्कंटक बना देती हैऔर तब, वह किसी दुर्घटना-स्थल पर जमा अभेद्य भीड़ से निकल जाने जैसाहलका-फुलका महसूस करता है क्योंकि वह जानता है कि सुबह के धमाके से गुज़रनारेडलाइट पर दौड़कर सड़क पार करने जैसा जोखिम भरा है, जबकि सवेरे की आवभगत करते पोस्टरों से रिसते रज से नाबालिग लड़कियां समय को ठेंगा दिखासिर से पैर तक इतनी सेक्सी हो जाती हैं किपुलिस उनके जननांगों से भीआर.डी.एक्स. बरामद कर लेती है इतना कुछ होता है तबवियाग्रा से देर तक उन्मत्त जब पेंशनभोगियों के लिए सवेरा अखबारों से फूटकर राजमार्गों तक पिलपिलाकर पसारना चाहता है कि 'वीआईपियों' की इम्पोर्टिड कारें उनका रास्ता जाम कर देती हैं जबकि ट्रैफिक खुलने की उम्मीद में मरीज़ दम तोड़ देता हैऔर किसी के नाम की सुपारी लिए भेड़िएअपने मेमने दबोच लेते हैं.