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हत्यारों का आगमन / अशोक लव
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07:38, 4 अगस्त 2010
पागल हवा
बाल खोले चिल्लाती रही
कोई नहीं आया
|
।
सूरज ने आकर देखा
पगडंडियों पर
पत्तों के गोली बिंधे शव
बिछे पड़े थे
|
।
</poem>
अनिल जनविजय
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