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माहिये-१ / रविकांत अनमोल

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रविकांत अनमोल |संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem>''''''इक फूल है डाली पे।पे ।
ऊपर वाले का,
एहसान है माली पे।पे ।''''''दो फूल महकते हैं।हैं ।
दिल में यादों के,
सौ दीपक जलते हैं।हैं ।''''''फूलों से हवा खेले।खेले ।
अपनी मस्ती में
बंदों से ख़ुदा खेले।खेले ।''''''दिल झूम उठा मेरा।मेरा ।
फूल के पर्दे में,
चेहरा जो दिखा तेरा।तेरा ।''''''क्या खूब नज़ारे हैं। हैं । फूल हैं कलियां कलियाँ हैं,चंदा है सितारे हैं।हैं ।
</poem>
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