Changes

{{KKRachna
|रचनाकार=बुद्धिनाथ मिश्र
|संग्रह= शिखरिणी / बुद्धिनाथ मिश्र
}}
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
:एक किरन भोर की
:उतराई आँगने ।
:रखना इसको सँभाल कर,
:लाया हूँ माँग इसे
:सूरज के गाँव से
:अँधियारे का ख़याल कर ।
एक किरन भोर की<br>उतराई ऑंगने।<br>रखना इसको सँभाल कर,<br>लाया हूँ माँग इसे<br>सूरज के गाँव से<br>अँधियारे का खयाल कर।<br>अँगीठी ताप-ताप<br>रात की मनौती की,<br>दिन पूजे धूप सेंक-सेंक।<br>सेंक ।लिपटा कर बचपन को<br>खाँसते बुढ़ापे में,<br>रख ली है पुरखों की टेक।<br>टेक ।जलपाखी आस का<br>बहुराया ताल में<br>खुश हैं लहरें उछालकर।<br>उछालकर । :सोना बरसेगा<br>:जब धूप बन खिलेगा मन,<br>:गेंदे की हरी डाल पर।पर ।</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,616
edits