भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गीत-7 / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> जब कभी तुम गीत मे…)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
 
जब कभी तुम गीत मेरा गुनगुनाओगे
 
जब कभी तुम गीत मेरा गुनगुनाओगे
और कुछ पाओ ना पाओ दर्द पाओगे
+
और कुछ पाओ ना पाओ, दर्द पाओगे
  
पत्थरों से रास्तों की, फूल सी हैं मंजिलें
+
पत्थरों से रास्तों की, फूल-सी हैं मंज़िलें
 
जब कभी इन रास्तों पर डगमगाओगे, और कुछ…………
 
जब कभी इन रास्तों पर डगमगाओगे, और कुछ…………
  
पंक्ति 19: पंक्ति 18:
 
जब कभी तुम आँख के मोती छिपाओगे, और कुछ……………
 
जब कभी तुम आँख के मोती छिपाओगे, और कुछ……………
  
प्रेम का तो दर्द से रिश्ता, पुराना है
+
प्रेम का तो दर्द से रिश्ता पुराना है
 
जब कभी तुम ऐसा रिश्ता तोड़ जाओगे, और कुछ……………
 
जब कभी तुम ऐसा रिश्ता तोड़ जाओगे, और कुछ……………
 
1992
 
1992
 
 
<poem>
 
<poem>

19:19, 7 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

जब कभी तुम गीत मेरा गुनगुनाओगे
और कुछ पाओ ना पाओ, दर्द पाओगे

पत्थरों से रास्तों की, फूल-सी हैं मंज़िलें
जब कभी इन रास्तों पर डगमगाओगे, और कुछ…………

छोड़कर पीपल की छाँव, छोड़कर तुम अपना गाँव
जब कभी आकाश में तारे सजाओगे, और कुछ……………

आँख के इन आँसुओं में जीत के मोती छुपे
जब कभी तुम आँख के मोती छिपाओगे, और कुछ……………

प्रेम का तो दर्द से रिश्ता पुराना है
जब कभी तुम ऐसा रिश्ता तोड़ जाओगे, और कुछ……………
1992