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दिल में ये एक डर है बराबर बना हुआ / गोविन्द गुलशन
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15:26, 17 सितम्बर 2010
आँखों में कैसे रह गया मंज़र बना हुआ
लहरो!बताओ तुमने उसे क्यूँ मिटा दिया
इक ख़्वाब का महल था यहाँ पर बना हुआ
द्विजेन्द्र द्विज
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