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ब्रह्मराक्षस / गजानन माधव मुक्तिबोध
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06:02, 17 सितम्बर 2007
व तब से आज तक के सूत्र छन्दस्, मन्त्र, थियोरम,<br>
सब प्रेमियों तक<br>
कि मार्क्स, एंजेल्स, रसेल,
टाॅएन्बी
टॉएन्बी
<br>
कि हीडेग्गर व स्पेंग्लर, सार्त्र, गाँधी भी<br>
सभी के सिद्ध-अंतों का<br>
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