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आँख से दूर न हो / फ़राज़

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आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा जाएगावक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जायेगाजाएगा
इतना मानूस न हो ख़िल्वत-ए-ग़म से अपनी तू कभी ख़ुद को भी देखेगा तो डर जायेगा जाएगा
तुम सर-ए-राह-ए-वफ़ा देखते रह जाओगे और वो बाम-ए-रफ़ाक़त से उतर जायेगा जाएगा
ज़िन्दगी तेरी अता है तो ये जानेवाला किसी ख़ंज़र किसी तलवार को तक़्लीफ़ न दोतेरी बख़्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जायेगा मरने वाला तो फ़क़त बात से मर जाएगा
ज़िन्दगी तेरी अता है तो ये जानेवालातेरी बख़्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जाएगा डूबते -डूबते कश्ती तो ओछाला को उछाला दे दूँ मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जायेगा जाएगा
ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का "फ़राज़"
ज़ालिम अब के भी न रोयेगा तो मर जायेगा जाएगा
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