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|संग्रह=दुख जोड़ेंगे हमें / ब्रजमोहन
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धरती से सोना उगाने वाले भाई रे
 
माटी से हीरा बनाने वाले भाई रे
 
अपना पसीना बहाने वाले भाई रे
 
उठ तेरी मेहनत को लूटे है कसाई रे...
 
मिल-कोठी-कारें ये सड़कें ये इंजन
 
इन सब में तेरी ही मेहनत की धड़कन
 
तेरे ही हाथों ने दुनिया बनाई
 
तूने ही भरपेट रोटी न खाई
 
हँसी तेरे होठों की किसने चुराई रे...
 
धरती भी तेरी ये अम्बर भी तेरा
 
तुझ को ही लाना है अपना सवेरा
 तू ही अंधेरों अँधेरों में सूरज है भाई! 
तू ही लड़ेगा सुबह की लड़ाई
 
तभी सारी दुनिया ये लेगी अंगड़ाई रे...
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