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Kavita Kosh से
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।<br>
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,<br>
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है॥ <br><br>
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कविता कोश में [[कुमार विश्वास]]
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