"स्वतंत्रता का दीपक / गोपाल सिंह नेपाली" के अवतरणों में अंतर
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घोर अंधकार हो, चल रही बयार हो, | घोर अंधकार हो, चल रही बयार हो, | ||
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आज द्वार द्वार पर यह दिया बुझे नहीं। | आज द्वार द्वार पर यह दिया बुझे नहीं। | ||
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शक्ति का दिया हुआ, शक्ति को दिया हुआ, | शक्ति का दिया हुआ, शक्ति को दिया हुआ, | ||
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भक्ति से दिया हुआ, यह स्वतंत्रतादिया, | भक्ति से दिया हुआ, यह स्वतंत्रतादिया, | ||
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रुक रही न नाव हो, जोर का बहाव हो, | रुक रही न नाव हो, जोर का बहाव हो, | ||
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आज गंगधार पर यह दिया बुझे नहीं! | आज गंगधार पर यह दिया बुझे नहीं! | ||
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यह स्वदेश का दिया हुआ प्राण के समान है! | यह स्वदेश का दिया हुआ प्राण के समान है! | ||
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यह अतीत कल्पना, यह विनीत प्रार्थना, | यह अतीत कल्पना, यह विनीत प्रार्थना, | ||
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यह पुनीत भवना, यह अनंत साधना, | यह पुनीत भवना, यह अनंत साधना, | ||
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शांति हो, अशांति हो, युद्ध, संधि, क्रांति हो, | शांति हो, अशांति हो, युद्ध, संधि, क्रांति हो, | ||
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तीर पर, कछार पर, यह दिया बुझे नहीं! | तीर पर, कछार पर, यह दिया बुझे नहीं! | ||
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देश पर, समाज पर, ज्योति का वितान है! | देश पर, समाज पर, ज्योति का वितान है! | ||
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तीन चार फूल है, आस पास धूल है, | तीन चार फूल है, आस पास धूल है, | ||
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बाँस है, फूल है, घास के दुकूल है, | बाँस है, फूल है, घास के दुकूल है, | ||
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वायु भी हिलोर से, फूँक दे, झकोर दे, | वायु भी हिलोर से, फूँक दे, झकोर दे, | ||
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कब्र पर, मजार पर, यह दिया बुझे नहीं! | कब्र पर, मजार पर, यह दिया बुझे नहीं! | ||
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यह किसी शहीद का पुण्य प्राणदान है! | यह किसी शहीद का पुण्य प्राणदान है! | ||
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झूम झूम बदलियाँ, चुम चुम बिजलियाँ | झूम झूम बदलियाँ, चुम चुम बिजलियाँ | ||
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आँधियाँ उठा रही, हलचले मचा रही! | आँधियाँ उठा रही, हलचले मचा रही! | ||
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लड़ रहा स्वदेश हो, शांति का न लेश हो | लड़ रहा स्वदेश हो, शांति का न लेश हो | ||
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क्षुद्र जीत हार पर, यह दिया बुझे नहीं! | क्षुद्र जीत हार पर, यह दिया बुझे नहीं! | ||
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यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है! | यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है! | ||
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22:04, 29 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
घोर अंधकार हो, चल रही बयार हो,
आज द्वार द्वार पर यह दिया बुझे नहीं।
यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है ।
शक्ति का दिया हुआ, शक्ति को दिया हुआ,
भक्ति से दिया हुआ, यह स्वतंत्रतादिया,
रुक रही न नाव हो, जोर का बहाव हो,
आज गंगधार पर यह दिया बुझे नहीं!
यह स्वदेश का दिया हुआ प्राण के समान है!
यह अतीत कल्पना, यह विनीत प्रार्थना,
यह पुनीत भवना, यह अनंत साधना,
शांति हो, अशांति हो, युद्ध, संधि, क्रांति हो,
तीर पर, कछार पर, यह दिया बुझे नहीं!
देश पर, समाज पर, ज्योति का वितान है!
तीन चार फूल है, आस पास धूल है,
बाँस है, फूल है, घास के दुकूल है,
वायु भी हिलोर से, फूँक दे, झकोर दे,
कब्र पर, मजार पर, यह दिया बुझे नहीं!
यह किसी शहीद का पुण्य प्राणदान है!
झूम झूम बदलियाँ, चुम चुम बिजलियाँ
आँधियाँ उठा रही, हलचले मचा रही!
लड़ रहा स्वदेश हो, शांति का न लेश हो
क्षुद्र जीत हार पर, यह दिया बुझे नहीं!
यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है!