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"उस अहसास के बारे में / पवन करण" के अवतरणों में अंतर
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घर से दूर जाते समय तुम्हारे होंठों पर | घर से दूर जाते समय तुम्हारे होंठों पर | ||
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मैं जो एक चुम्बन छोड़ आया हूँ | मैं जो एक चुम्बन छोड़ आया हूँ | ||
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मेरे लौट आने तक उसका अहसास | मेरे लौट आने तक उसका अहसास | ||
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उन पर जस-का-तस रहेगा प्रिय | उन पर जस-का-तस रहेगा प्रिय | ||
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तुम चाहे कितने भी ज़ोर से | तुम चाहे कितने भी ज़ोर से | ||
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रगड़-रगड़ कर धोना उन्हें, | रगड़-रगड़ कर धोना उन्हें, | ||
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चाहे सिगड़ी में आग बढ़ाने | चाहे सिगड़ी में आग बढ़ाने | ||
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मारना ज़ोर-ज़ोर से फूँक | मारना ज़ोर-ज़ोर से फूँक | ||
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या उन्हें रंग डालना परत दर परत | या उन्हें रंग डालना परत दर परत | ||
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लेकिन वह हठी होंठों से हटेगा नहीं | लेकिन वह हठी होंठों से हटेगा नहीं | ||
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मैं वहाँ रहते हुए तुम्हें करूँगा | मैं वहाँ रहते हुए तुम्हें करूँगा | ||
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हर रोज़ टेलिफ़ोन, पूछूँगा तुम्हारे | हर रोज़ टेलिफ़ोन, पूछूँगा तुम्हारे | ||
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और बच्चों के बारे में | और बच्चों के बारे में | ||
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और पूछूँगा उस अहसास के बारे में | और पूछूँगा उस अहसास के बारे में | ||
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जो मैं तुम्हारे होंठों पर आया हूँ छोड़ | जो मैं तुम्हारे होंठों पर आया हूँ छोड़ | ||
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उतने दिन जितने मैं रहूँगा | उतने दिन जितने मैं रहूँगा | ||
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यहाँ तुमसे दूर, तुम्हारे पास | यहाँ तुमसे दूर, तुम्हारे पास | ||
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तमाम चीज़ों के बीच-- | तमाम चीज़ों के बीच-- | ||
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महसूस करने के लिए मुझे | महसूस करने के लिए मुझे | ||
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होंठों पर | होंठों पर | ||
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विश्वास की तरह होगा यह | विश्वास की तरह होगा यह | ||
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20:31, 31 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
घर से दूर जाते समय तुम्हारे होंठों पर
मैं जो एक चुम्बन छोड़ आया हूँ
मेरे लौट आने तक उसका अहसास
उन पर जस-का-तस रहेगा प्रिय
तुम चाहे कितने भी ज़ोर से
रगड़-रगड़ कर धोना उन्हें,
चाहे सिगड़ी में आग बढ़ाने
मारना ज़ोर-ज़ोर से फूँक
या उन्हें रंग डालना परत दर परत
लेकिन वह हठी होंठों से हटेगा नहीं
मैं वहाँ रहते हुए तुम्हें करूँगा
हर रोज़ टेलिफ़ोन, पूछूँगा तुम्हारे
और बच्चों के बारे में
और पूछूँगा उस अहसास के बारे में
जो मैं तुम्हारे होंठों पर आया हूँ छोड़
उतने दिन जितने मैं रहूँगा
यहाँ तुमसे दूर, तुम्हारे पास
तमाम चीज़ों के बीच--
महसूस करने के लिए मुझे
होंठों पर
विश्वास की तरह होगा यह