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"सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूं / भारत भूषण" के अवतरणों में अंतर
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− | पलकों पलकों शूल | + | पलकों-पलकों शूल बुहारूँ |
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− | + | भँवरों पर पहरा बिठला दूँ | |
− | कहीं न जूठी कर दें | + | कहीं न जूठी कर दें कलियाँ |
फूट पडे पतझर से लाली | फूट पडे पतझर से लाली | ||
− | तुम अरुणारे चरन धरो तो! | + | तुम अरुणारे चरन धरो तो ! |
रात न मेरी दूध नहाई | रात न मेरी दूध नहाई | ||
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काया का रंगीन दुशाला | काया का रंगीन दुशाला | ||
जीवन सिंदूरी हो जाए | जीवन सिंदूरी हो जाए | ||
− | तुम चितवन की किरन करो तो! | + | तुम चितवन की किरन करो तो ! |
− | सूरज को अधरों पर धर | + | सूरज को अधरों पर धर लूँ |
− | काजल कर | + | काजल कर आँजूँ अँधियारी |
युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर | युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर | ||
− | बाट | + | बाट निहारूँ प्राण तुम्हारी |
− | + | साँसों की जंज़ीरें तोड़ूँ | |
तुम प्राणों की अगन हरो तो | तुम प्राणों की अगन हरो तो | ||
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10:13, 1 नवम्बर 2010 का अवतरण
सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ
प्रिय मिलने का वचन भरो तो !
पलकों-पलकों शूल बुहारूँ
अँसुअन सींचू सौरभ गलियाँ
भँवरों पर पहरा बिठला दूँ
कहीं न जूठी कर दें कलियाँ
फूट पडे पतझर से लाली
तुम अरुणारे चरन धरो तो !
रात न मेरी दूध नहाई
प्रात न मेरा फूलों वाला
तार-तार हो गया निमोही
काया का रंगीन दुशाला
जीवन सिंदूरी हो जाए
तुम चितवन की किरन करो तो !
सूरज को अधरों पर धर लूँ
काजल कर आँजूँ अँधियारी
युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर
बाट निहारूँ प्राण तुम्हारी
साँसों की जंज़ीरें तोड़ूँ
तुम प्राणों की अगन हरो तो