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कित्ता नेड़ै-नेड़ै रैया आपां | कित्ता नेड़ै-नेड़ै रैया आपां | ||
पण देख नीं सक्या | पण देख नीं सक्या | ||
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झूठ नीं बोलूं | झूठ नीं बोलूं | ||
म्हैं तो नीं देख सक्यो | म्हैं तो नीं देख सक्यो | ||
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बरत्यो अवस है | बरत्यो अवस है | ||
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ठोडी रो तिल | ठोडी रो तिल | ||
जकै रौ रंग | जकै रौ रंग | ||
− | म्हारी अणदेखी रै अंधारै | + | म्हारी अणदेखी रै अंधारै रळग्यो । |
माफ करज्यो | माफ करज्यो | ||
औसाण ही नीं मिल्यो | औसाण ही नीं मिल्यो | ||
− | + | अ दांत कद टूटग्या थारा? | |
− | अर | + | अर ऐ धोळा बाळ? |
आ बैठ, गौर सूं देखूं थनै | आ बैठ, गौर सूं देखूं थनै | ||
कदे भाजो-भाज में | कदे भाजो-भाज में | ||
आ जिनगाणी भाज नीं जावै। | आ जिनगाणी भाज नीं जावै। | ||
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18:45, 4 नवम्बर 2010 का अवतरण
आ बैठ बात करां
एक दूजै नै देखां
कित्ता बरस बीतग्या
सागै रैंवतै थकां,
कित्ता नेड़ै-नेड़ै रैया आपां
पण देख नीं सक्या
एक दूजै नै ।
झूठ नीं बोलूं
म्हैं तो नीं देख सक्यो
थारी थूं जाणै ।
बरत्यो अवस है
थारो रूं-रूं
पण देख नीं सक्यो
ठोडी रो तिल
जकै रौ रंग
म्हारी अणदेखी रै अंधारै रळग्यो ।
माफ करज्यो
औसाण ही नीं मिल्यो
अ दांत कद टूटग्या थारा?
अर ऐ धोळा बाळ?
आ बैठ, गौर सूं देखूं थनै
कदे भाजो-भाज में
आ जिनगाणी भाज नीं जावै।