{{KKRachnakaarParichay|रचनाकार=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़}}फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का जन्म 13 फरवरी 1911 अविभाजित हिदुस्तान के शहर सियालकोट, (पंजाब) में जो अब पाकिस्तान में है, एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था ।सन् 1936 में वे प्रेमचंद, मौलवी अब्दुल हक़, सज्जाद जहीर और मुल्क…राज आनंद द्वारा स्थापित प्रगतिशील लेखक संघ में शामिल हुए। फै़ज़ अहमद फै़ज़ बाबा मलंग साहिब,लाहौर के सूफी,अशफाक अहमद,सयेद फखरुद्दीन बल्ली,वासिफ अली वासिफ और अन्य सूफी संतों के वह भक्त थे । फैज़ प्रतिबद्ध मार्क्सवादी थे।
वे उर्दू के बहुत ही जाने -माने कवि थे । आधुनिक उर्दू शायरी को उन्होंने एक नई ऊँचाई दी । इसी समयउर्दू के काव्यगगन काव्य-गगन में साहीरसाहिर, ईकबालकैफ़ी, कैफ़ि, फ़िराक़ के जैसे और भी सितारे चमक रहे थे । वेअंग्रेजी तथा अरबी में MA एम०ए० करने के बाद बावजूद भी कबितायें कवितायें उर्दू में ही लिखते थे ।थे। फै़ज़ अहमद फै़ज़ की उर्दू कविता दुआ का बलोची अनुवाद बलोच कवि गुल खान नासिर द्वारा किया गया !
1930 में फैज़ ने ब्रिटिश महिला एलिस से विवाह किया था । 1942 से लेकर 1947 तक वे ब्रिटिश-सेना मे थे कर्नल रहे । फिर फौ़ज़ से अलग होकर ’पाकिस्तान टाइम्स’ और ’इमरोज़’ अखबारों के एडीटर रहे। लियाकत अली खाँ की सरकार के तख्तापलट की साजिशरचने के जुर्म में वे १९५१ 1951- १९५५ 1955 तक कैद में रहे । इसी दौरान लिखी गई कविताएँ बाद में बहुतलोकप्रिय हुईं और , जो "दस्ते सबा" तथा "जिंदानामा" नाम से में प्रकाशित किया गया हुईं । बाद में वे 1962तक लाहोर लाहौर में पाकिस्तान आर्टस काउनसिल मे रहे । 1963 में उनको सोभियत रशिया से सोवियत-संघ (रूस) ने लेनिनशांति पुरस्कार प्रदान किया गया । भारत के साथ 1965 के युद्ध के समये वे पाकिस्तान के सूचना मंत्रक मंत्रालय मे कामकिये कर रहे थे । 1984 में, उनके देहांत के से पहले, उनका नाम नोबेल पुरस्कार के लिये उनका नाम सामने आया प्रस्तावित किया गया था ।