भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बादली/चन्द्र सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
<poem>
 
<poem>
  
जीवन नै सह तरसिया बंजड झंकड़ वाड़
+
जीवन नै सह तरसिया बंजड झंकड़ वाड़ |
बरसे, भोली बादली आयो आज आसाड़
+
बरसे, भोली बादली आयो आज आसाड़ ||1||
 +
 
 +
आठूं पोर अड़ीकतां बीते दिन ज्यूँ मास |
 +
दरसन दे, अब बादली मुरधर नै मत तास ||2||
 +
 
 +
आस लगाया मुरधरा देख रही दिन रात |
 +
भागी आ तुं बादली, आई रुत बरसात ||3||
 +
 
 +
कोरां कोरां धोरियाँ  डून्गा-डून्गा डेर |
 +
आव रमां ए बादली,  ले-ले मुरधर ल्हेर ||4||
 +
 
 +
ग्रीखम रुत धाझी धरा कलप रही दिन रात |
 +
मेह मिलावन बादली बरस बरस बरसात ||5||
 +
 
 +
नहीं नदी नाला अठे नहीं सरवर सरसाय |
 +
एक आसरो बादली मरू सुकी मत जाय ||6||
 +
 
 +
खो मत जीवन, बावली डूंगर-खोहां जाय |
 +
मिलन पुकारे मुरधरा  रम रम धोरां आय ||7||
 +
 
 +
नांव सुणया सुख उपजे जिवडे हुलस अपार |
 +
रग रग नाचे कोड में दे दरसन जिन वार ||8||
 +
 
 +
 
  
आठूं पोर अड़ीकतां बीते दिन ज्यूँ मास
 
दरसन दे, अब बादली मुरधर नै मत तास
 
  
 
</poem>
 
</poem>

17:42, 13 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण


जीवन नै सह तरसिया बंजड झंकड़ वाड़ |
बरसे, भोली बादली आयो आज आसाड़ ||1||

आठूं पोर अड़ीकतां बीते दिन ज्यूँ मास |
दरसन दे, अब बादली मुरधर नै मत तास ||2||

आस लगाया मुरधरा देख रही दिन रात |
भागी आ तुं बादली, आई रुत बरसात ||3||

कोरां कोरां धोरियाँ डून्गा-डून्गा डेर |
आव रमां ए बादली, ले-ले मुरधर ल्हेर ||4||

ग्रीखम रुत धाझी धरा कलप रही दिन रात |
मेह मिलावन बादली बरस बरस बरसात ||5||

नहीं नदी नाला अठे नहीं सरवर सरसाय |
एक आसरो बादली मरू सुकी मत जाय ||6||

खो मत जीवन, बावली डूंगर-खोहां जाय |
मिलन पुकारे मुरधरा रम रम धोरां आय ||7||

नांव सुणया सुख उपजे जिवडे हुलस अपार |
रग रग नाचे कोड में दे दरसन जिन वार ||8||