भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उस दिन / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: शैलेन्द्र Category:कविताएँ Category:शैलेन्द्र ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ उस ...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
रचनाकार: [[शैलेन्द्र]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=शैलेन्द्र
[[Category:शैलेन्द्र]]
+
}}
 +
[[Category:गीत]]
  
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
 
  
  

01:20, 28 जून 2008 का अवतरण


उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की

साध हो चुकी पूरी !


जिस दिन तुमने सरल स्नेह भर

मेरी ओर निहारा;

विहंस बहा दी तपते मरुथल में

चंचल रस धारा!

उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की

साध हो चुकी पूरी!


जिस दिन अरुण अधरों से

तुमने हरी व्यथाएं;

कर दीं प्रीत-गीत में परिणित

मेरी करुण कथाएं!

उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की

साध हो चुकी पूरी!


जिस दिन तुमने बाहों में भर

तन का ताप मिटाया;

प्राण कर दिए पुण्य--

सफल कर दी मिट्टी की काया!

उस दिन ही प्रिय जनम-जनम की

साध हो चुकी पूरी!


1945 में रचित