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तीस साल के बाद... / नागार्जुन

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रचनाकार: [[नागार्जुन]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=नागार्जुन]]|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~}}{{KKCatKavita}}<poem>
शासक बदले, झंडा बदला, तीस साल के बाद
 
नेहरू-शास्त्री और इन्दिरा हमें रहेंगे याद
 
जनता बदली, नेता बदले तीस साल के बाद
 
बदला समर, विजेता बदले तीस साल के बाद
 
कोटि-कोटि मतपत्र बन गए जादू वाले बाण
 मूर्छित भारत-मां माँ के तन में वापस आए प्राण 
प्रभुता की पीनक में नेहरू पुत्री थी बदहोश
 
जन गण मन में दबा पड़ा था बहुत-बहुत आक्रोश
 
नसबन्दी के ज़ोर-जुलुम से मचा बहुत कोहराम
 
किया सभी ने उस शासन को अन्तिम बार सलाम
 (१९७७ में रचित,'खिचड़ी विप्लव देखा हमने' नामक कविता-संग्रह से)</poem>
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