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"बचपन / कविता गौड़" के अवतरणों में अंतर

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कहीं खो गया है बचपन
 
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गलियों में रो रहा है बचपन
 
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होटलों में ढाबों में धो रहा है बरतन
 
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काँच की चूड़ियों में पिरो रहा है शबनम
 
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बीड़ियों में तंबाखू समो रहा है बचपन
 
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गोदियों में बचपन खिला रहा है बचपन
 
गोदियों में बचपन खिला रहा है बचपन
 
योजनाएँ सारी ध्वस्त है
 
योजनाएँ सारी ध्वस्त है

11:10, 23 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

बचपन की तलाश है
कहीं खो गया है बचपन
गलियों में रो रहा है बचपन

होटलों में ढाबों में धो रहा है बरतन
काँच की चूड़ियों में पिरो रहा है शबनम
बीड़ियों में तंबाखू समो रहा है बचपन

गोदियों में बचपन खिला रहा है बचपन
योजनाएँ सारी ध्वस्त है
कहीं भी खिलखिलाता नज़र नहीं
आ रहा है बचपन