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"आज जो आपको सुनानी है / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर

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21:40, 30 नवम्बर 2010 का अवतरण

आज जो आपको सुनानी है
ज़िन्दगी की अजब कहानी है

तब मिले हैं ग़ज़ल के ये मोती
हमने दुनिया की ख़ाक छानी है

घर के बहार निकल के देखो तो
आज की रुत बहुत सुहानी है

सौंधी ख़ुशबू से भर गया घर को
पहली बारिश का पहला पानी है

मेरी ग़ज़लों में दर्दे मुफ़लिस है
कोई राजा न कोई रानी है

फिर से महकेगा आज घर मेरा
आज फिर याद उनकी आनी है