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(निशा निमंत्रण की समस्‍या।)
 
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तुषार जी, कविता कोश में आपका फिर से स्वागत है। आशा है आप स्वस्थ होंगे और आपकी पढ़ाई अच्छी चल रही होगी। बहुत अच्छा लग रहा है कि आपने फिर से कोश में काम आरम्भ किया है। शुभाकांक्षी '''--[[सदस्य:Lalit Kumar|Lalit Kumar]] १९:५३, २७ मई २००८ (UTC)'''
 
तुषार जी, कविता कोश में आपका फिर से स्वागत है। आशा है आप स्वस्थ होंगे और आपकी पढ़ाई अच्छी चल रही होगी। बहुत अच्छा लग रहा है कि आपने फिर से कोश में काम आरम्भ किया है। शुभाकांक्षी '''--[[सदस्य:Lalit Kumar|Lalit Kumar]] १९:५३, २७ मई २००८ (UTC)'''
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== निशा निमन्त्रण==
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नमस्ते तुषार जी, मेरा नाम सम्यक है। क्या निशा निमन्त्रण में दी गयी रचनाओं के शीर्षक ’एक’ , ’दो’ , ’तीन’ , ’चार’ इत्यादि ही हैं? यदि हाँ, तो ठीक है, अन्यथा हमें कविता के शीर्षक से ही पन्नें बनाने चाहिये।
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--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] १२:२७, ९ जुलाई २००८ (UTC)
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की कविताओं को भर रहा हूँ। उसमें कूल बीस कविताएँ निशा निमंत्रण की हैं। और इन सभी कविताओं के शीर्षक एक,
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तुषार मुखर्जी।
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ढालीगाँव, असम।

15:02, 11 जुलाई 2008 के समय का अवतरण

तुषार जी, कृपया नयी रचना का पन्ना बनाते समय उसकी सबसे पहली पंक्ति में {{KKGlobal}} अवश्य लिखिये।

--Lalit Kumar १६:५५, १ जून २००७ (UTC)

KKRachna टेम्प्लेट में बदलाव

KKRachna टेम्प्लेट में एक और बदलाव हुआ है। इसके बारे में चौपाल में पढे़। --Lalit Kumar ११:४७, २८ जून २००७ (UTC)

स्वागत है

तुषार जी, कविता कोश में आपका फिर से स्वागत है। आशा है आप स्वस्थ होंगे और आपकी पढ़ाई अच्छी चल रही होगी। बहुत अच्छा लग रहा है कि आपने फिर से कोश में काम आरम्भ किया है। शुभाकांक्षी --Lalit Kumar १९:५३, २७ मई २००८ (UTC)

निशा निमन्त्रण

नमस्ते तुषार जी, मेरा नाम सम्यक है। क्या निशा निमन्त्रण में दी गयी रचनाओं के शीर्षक ’एक’ , ’दो’ , ’तीन’ , ’चार’ इत्यादि ही हैं? यदि हाँ, तो ठीक है, अन्यथा हमें कविता के शीर्षक से ही पन्नें बनाने चाहिये।

--सम्यक १२:२७, ९ जुलाई २००८ (UTC)

निशा निमंत्रण की समस्‍या।

सम्‍यक जी,

मैं भी इसी समस्‍या का सामना कर रहा हूँ। मैं बच्‍चन जी की 'मेरी श्रेष्‍ठ कविताएँ' नामक पुस्‍तक से निशा निमंत्रण

की कविताओं को भर रहा हूँ। उसमें कूल बीस कविताएँ निशा निमंत्रण की हैं। और इन सभी कविताओं के शीर्षक एक,

दो, तीन, ......, बीस तक क्रमानुसार दिए गए हैं। इसलिए मैंने उसी तरह भर दिया। अगर आप इसे गलत

समझते हैं, तो आप इनमें बदलाव ला सकते हैं। आपका मार्गदर्शन जरूरी है। और एक बात। निशा निमंत्रण में पहले

से मैजूद दो कविताओं को भी मुझे इस पुस्‍तक में नहीं मिला। इस बात पर भी सोचिएगा। मुझे हिन्‍दी साहित्‍य के बारे

बहुत कम जानकारी है। बस, मुझे हिन्‍दी भाषा और साहित्‍य में बहुत रूची है।

तुषार मुखर्जी।

ढालीगाँव, असम।