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इस शहर में
 
इस शहर में
 
 
फिर से कोई हादसा
 
फिर से कोई हादसा
 
 
हुआ होगा
 
हुआ होगा
 
  
 
नहीं तो
 
नहीं तो
 
 
इतना खामोश
 
इतना खामोश
 
 
और वीरान
 
और वीरान
 
 
क्यों पड़ा है यह
 
क्यों पड़ा है यह
 
  
 
आदमी से
 
आदमी से
 
 
आदमी का
 
आदमी का
 
 
भरोसा उठ गया होगा
 
भरोसा उठ गया होगा
 
  
 
नहीं तो
 
नहीं तो
 
 
इतना बेजुबां
 
इतना बेजुबां
 
 
और बेमज़ा
 
और बेमज़ा
 
 
क्यों हुआ है यह
 
क्यों हुआ है यह
  
 
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'''2001 में रचित
(2001 में रचित)
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13:01, 8 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

इस शहर में
फिर से कोई हादसा
हुआ होगा

नहीं तो
इतना खामोश
और वीरान
क्यों पड़ा है यह

आदमी से
आदमी का
भरोसा उठ गया होगा

नहीं तो
इतना बेजुबां
और बेमज़ा
क्यों हुआ है यह

2001 में रचित