Changes

[[Category:लम्बी रचना]]
{{KKPageNavigation
|पीछे=गीतावली / तुलसीदास उत्तरकाण्ड पद 11 से 20 तक/ पृष्ठ 361|आगे=गीतावली उत्तरकाण्ड पद 11 से 20 तक/ पृष्ठ 23
|सारणी=गीतावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 37
}}
<poem>
'''(1112)''''''राग ललितभैरव''' आज रघुपति-मुख देखत लागत सुख सेवक सुरुष, सोभा सरद-ससि सिहाई | दसन-बसन लाल, बिसद हास रसाल मानो हिमकर-कर राखे राजीव मनाई ||
अरुन नैन बिसालप्रातकाल रघुबीर-बदन-छबि चितै, ललित भ्रुकुटि, भालचतुर चित मेरे | होहिं बिबेक-बिलोचन निरमल सुफल सुसीतल तेरे ||  भाल बिसाल बिकट भ्रुकुटी बिच तिलक-रेख रुचि राजै | मनहुँ मदन तम तकि मरकत-धनु जुगुल कनक सर साजै ||  रुचिर पलक लोचन जुग तारक स्याम, चारु कपोल, चिबुकअरुन सित कोए | जनु अलि नलिन-नासा सुहाई कोस महँ बन्धुक-सुमन सेज सजि सोए |बिथुरे कुटिल बिलुलित ललित कपोलनिपर कच, मानहु मधु लालच मेचक कुटिल सुहाए | मनो बिधुमहँ बनरुह बिलोकि अलि, बिपुल सकौतुक आए ||  नलिनसोभित स्रवन कनक-जुगल उपर रहे लोभाई कुण्डल कल लम्बित बिबि भुजमूले | मनहुँ केकि तकि गहन चहत जुग उरग इंदु प्रतिकूले ||  अधर अरुनतर, दसन-पाँति बर, मधुर मनोहर हासा | मनहुँ सोन सरसिज महँ कुलिसनि तड़ित सहित कृत बासा ||  चारु चिबुक, सुकतुण्ड बिनिन्दक सुभग सून्नत नासा | तुलसिदास छबिधाम राममुख सुखद, समन भवत्रासा ||
स्रवन सुन्दर, सम कुण्डल कल जुगम,
तुलसिदास अनूप, उपमा कही न जाई |
मानो मरकत सीप सुन्दर ससि समीप
कनक मकरजुत बिधि बिरची बनाई ||
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits