Last modified on 8 जुलाई 2011, at 01:18

"अपना चेहरा भी किसी और का लगा है मुझे / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
कुछ तेरे दिल में धड़कता हुआ लगा है मुझे
 
कुछ तेरे दिल में धड़कता हुआ लगा है मुझे
  
एक ख़ुशबू सी ख्यालों में बसी रहती है
+
एक ख़ुशबू सी ख़यालों में बसी रहती है
 
साथ हरदम है कोई ख़ुशनुमा,लगा है मुझे
 
साथ हरदम है कोई ख़ुशनुमा,लगा है मुझे
  
पंक्ति 20: पंक्ति 20:
  
 
पास आते ही निगाहों में खिल उठे हैं गुलाब
 
पास आते ही निगाहों में खिल उठे हैं गुलाब
फिर कोई अपनी तरफ देखता लगा है मुझे
+
फिर कोई अपनी तरफ़ देखता लगा है मुझे
 
<poem>
 
<poem>

01:18, 8 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


अपना चेहरा भी किसी और का लगा है मुझे
आज दुश्मन की तरह आइना लगा है मुझे

मैं तेरे प्यार के काबिल तो नहीं था, लेकिन
कुछ तेरे दिल में धड़कता हुआ लगा है मुझे

एक ख़ुशबू सी ख़यालों में बसी रहती है
साथ हरदम है कोई ख़ुशनुमा,लगा है मुझे

यह भी ताक़त न रही चार क़दम उठके चलूँ
हाय! कब उनकी गली का पता लगा है मुझे!

पास आते ही निगाहों में खिल उठे हैं गुलाब
फिर कोई अपनी तरफ़ देखता लगा है मुझे