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Kavita Kosh से
जाने कब छांव घनी देता शजर<ref>वृक्ष</ref> आएगा
अपना सर सजदे में उस दर पे मुसलसल<ref>लगातार</ref> रख दे
इक न इक तो इबादत में असर आएगा
</Poem>
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