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− | गुरु साधु नृप के | + | गुरु साधु नृप के यहाँ शुद्ध भेंट ले जाय । |
− | दर्शन करने को प्रिया खाली हाथ न | + | दर्शन करने को प्रिया खाली हाथ न जाय ॥ |
− | + | प्रफुलित चित मन मुदित हो पति वचन उर धार | | |
+ | ले आई कछु माँग कर चावल मुठ्ठी चार || | ||
+ | चार परोसन से चावल, | ||
+ | लाकर बोली न अबेर करो, | ||
+ | कह देना हम कंगालों की, | ||
+ | प्रभु भेंट यही स्वीकार करो | | ||
+ | वह दीन दयालु राम कृष्ण, | ||
+ | उत्तर प्रसन्न चित्त देवेंगे, | ||
+ | यह सूक्ष्म भेंट ग़रीबों की, | ||
+ | वह हँसी खुशी से लेवेंगे | | ||
+ | हैं भक्त जनों के ही भगवत, | ||
+ | प्यारे हैं संत महात्मा के, | ||
+ | तुम्हरे वह बाल सखा प्रेमी, | ||
+ | तुम परम भक्त परमात्मा के | | ||
+ | दर्शन से उनके बड़े बड़े, | ||
+ | जन पापी भी उद्धार हुए, | ||
+ | प्रेमी जिनके बन बन कर, | ||
+ | नर भवसागर से पर हुए | | ||
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+ | '''== प्रस्थान और राह में चिन्तन ==''' | ||
+ | लोटा डोरी कंधे पर धार, | ||
+ | कर चले स्मरण गजानन्द का, | ||
+ | दिल लगन लगी हरि दर्शन की, | ||
+ | कछु पार न था उस आनन्द का | | ||
+ | मारग में यहीं विचारते थे, | ||
+ | न द्रव्य लिखा है ललाट मेरे, | ||
+ | जन्म सुधर जावेगा जब, | ||
+ | देखूंगा कृष्ण मुरार मेरे | | ||
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21:32, 24 जून 2016 के समय का अवतरण
गुरु साधु नृप के यहाँ शुद्ध भेंट ले जाय ।
दर्शन करने को प्रिया खाली हाथ न जाय ॥
प्रफुलित चित मन मुदित हो पति वचन उर धार |
ले आई कछु माँग कर चावल मुठ्ठी चार ||
चार परोसन से चावल,
लाकर बोली न अबेर करो,
कह देना हम कंगालों की,
प्रभु भेंट यही स्वीकार करो |
वह दीन दयालु राम कृष्ण,
उत्तर प्रसन्न चित्त देवेंगे,
यह सूक्ष्म भेंट ग़रीबों की,
वह हँसी खुशी से लेवेंगे |
हैं भक्त जनों के ही भगवत,
प्यारे हैं संत महात्मा के,
तुम्हरे वह बाल सखा प्रेमी,
तुम परम भक्त परमात्मा के |
दर्शन से उनके बड़े बड़े,
जन पापी भी उद्धार हुए,
प्रेमी जिनके बन बन कर,
नर भवसागर से पर हुए |
== प्रस्थान और राह में चिन्तन ==
लोटा डोरी कंधे पर धार,
कर चले स्मरण गजानन्द का,
दिल लगन लगी हरि दर्शन की,
कछु पार न था उस आनन्द का |
मारग में यहीं विचारते थे,
न द्रव्य लिखा है ललाट मेरे,
जन्म सुधर जावेगा जब,
देखूंगा कृष्ण मुरार मेरे |