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तो मैं किसी दिन आज़िज़ आकर अपने शरीर को | तो मैं किसी दिन आज़िज़ आकर अपने शरीर को | ||
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परात में गूँथ कर मैदे की लोई बना डालूंगा | परात में गूँथ कर मैदे की लोई बना डालूंगा | ||
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और पिछले तमाम वर्षों की रचनाओं को मसाले में लपेट कर | और पिछले तमाम वर्षों की रचनाओं को मसाले में लपेट कर | ||
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बनाऊंगा दो दर्ज़न समोसे | बनाऊंगा दो दर्ज़न समोसे | ||
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और सारे समोसे आपकी थाली में परोस दूंगा | और सारे समोसे आपकी थाली में परोस दूंगा | ||
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तृप्त हो जाएंगे आप और निश्चिंत | तृप्त हो जाएंगे आप और निश्चिंत | ||
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कि आपके अखाड़े से चला गया | कि आपके अखाड़े से चला गया | ||
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एक अवांछित कवि-कथाकार | एक अवांछित कवि-कथाकार | ||
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नमस्कार ! | नमस्कार ! | ||
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00:42, 11 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
पानी अगर सिर पर से गुज़रा, आलोचको
तो मैं किसी दिन आज़िज़ आकर अपने शरीर को
परात में गूँथ कर मैदे की लोई बना डालूंगा
और पिछले तमाम वर्षों की रचनाओं को मसाले में लपेट कर
बनाऊंगा दो दर्ज़न समोसे
और सारे समोसे आपकी थाली में परोस दूंगा
तृप्त हो जाएंगे आप और निश्चिंत
कि आपके अखाड़े से चला गया
एक अवांछित कवि-कथाकार
नमस्कार !