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Kavita Kosh से
टीस से छटपटाना चाहेगा!
हाय चील,सुनहरे डैनों वाली चील
भरे बादलों वाली इस दोपहरी में
धानसीढ़ी नदी के पास उड़ उड़ कर
तुम और न रोओ !
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