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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल | ||
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+ | अदाओं की तेरी जादूगरी जानी नहीं जाती | ||
नहीं जाती है मेरे दिल की हैरानी नहीं जाती | नहीं जाती है मेरे दिल की हैरानी नहीं जाती | ||
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ये किस मंज़िल पे ले आयी है तू ऐ ज़िन्दगी मुझको | ये किस मंज़िल पे ले आयी है तू ऐ ज़िन्दगी मुझको | ||
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कि अब सूरत भी मेरी मुझसे पहचानी नहीं जाती! | कि अब सूरत भी मेरी मुझसे पहचानी नहीं जाती! | ||
− | + | मुसाफ़िर लौटकर आने का फिर वादा तो करता जा | |
− | + | अगर कुछ और रुक जाने की ज़िद मानी नहीं जाती | |
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− | अगर कुछ और रुक जाने की | + | |
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ये माना तू ही परदे से इशारे मुझको करता है | ये माना तू ही परदे से इशारे मुझको करता है | ||
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बिना देखे मगर दिल की परीशानी नहीं जाती | बिना देखे मगर दिल की परीशानी नहीं जाती | ||
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अगर है प्यार दिल में तो कभी सूरत भी दिखला दे | अगर है प्यार दिल में तो कभी सूरत भी दिखला दे | ||
+ | तेरे कूचे की मुझसे ख़ाक अब छानी नहीं जाती | ||
− | + | कभी तड़पा ही देगी प्यार की ख़ुशबू, गुलाब! उसको | |
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− | कभी तड़पा ही देगी प्यार की | + | |
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कोई भी आह तेरे दिल की बेमानी नहीं जाती | कोई भी आह तेरे दिल की बेमानी नहीं जाती | ||
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01:09, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
अदाओं की तेरी जादूगरी जानी नहीं जाती
नहीं जाती है मेरे दिल की हैरानी नहीं जाती
ये किस मंज़िल पे ले आयी है तू ऐ ज़िन्दगी मुझको
कि अब सूरत भी मेरी मुझसे पहचानी नहीं जाती!
मुसाफ़िर लौटकर आने का फिर वादा तो करता जा
अगर कुछ और रुक जाने की ज़िद मानी नहीं जाती
ये माना तू ही परदे से इशारे मुझको करता है
बिना देखे मगर दिल की परीशानी नहीं जाती
अगर है प्यार दिल में तो कभी सूरत भी दिखला दे
तेरे कूचे की मुझसे ख़ाक अब छानी नहीं जाती
कभी तड़पा ही देगी प्यार की ख़ुशबू, गुलाब! उसको
कोई भी आह तेरे दिल की बेमानी नहीं जाती