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उक़ाबी<ref> गिद्ध पक्षी जैसी</ref>शान से झपटे थे जो बे-बालो-पर<ref>बिना बालों और परों के </ref>निकले
सितारे शाम को ख़ूने-फ़लक़<ref>सूर्यास्त-समय की क्षितिज की लालिमा </ref>में डूबकर निकले
ख़बर देतीं थीं जिनको बिजलियाँ वोह बेख़बर निकले
जहाँ में अहले-ईमाँ<ref> ईमानदार लोग</ref>सूरते-ख़ुर्शीद<ref> सूर्य की भाँति </ref>जीते हैं
इधर डूबे उधर निकले , उधर डूबे इधर निकले
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