(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्र रेखा ढडवाल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> '''औरत(पाँच)'…) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=चंद्र रेखा ढडवाल |
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
<poem> | <poem> | ||
− | '''औरत(पाँच)''' | + | '''औरत (पाँच)''' |
तुम कहोगी नहीं | तुम कहोगी नहीं |
22:56, 29 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
औरत (पाँच)
तुम कहोगी नहीं
तो कोई सुनेगा नहीं
सुनेगा नहीं
तो जानेगा नहीं
और निदान इसी में
कि कोई सुने
तुम कहती क्या हो
कोई जाने
तुम सहती क्या हो.