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{{KKFilmRachna
|रचनाकार= शकील बदायूनी
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<poem>इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल केये देश हैं है तुम्हारा, नेता तुम ही तुम्ही हो कल के
दुनियाँ दुनिया के रंज सहना और , कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
इन्साफ की डगर पे...
अपने हो हों या पराए, सब के लिए हो न्यायदेखो कदम तुम्हारा, हरगिज हरगिज़ ना डगमगाएरस्ते बडे बड़े कठिन हैं, चलना संभल -संभल केइन्साफ की डगर पे...
इन्सानियत के सर पे, इज्जत इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
इन्साफ की डगर पे...
</poem>
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